कुंडली में मांगलिक दोष: कारण, नुकसान और शांति पूजा की आवश्यकता
मांगलिक दोष का मुख्य कारण कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति है। ज्योतिष के अनुसार, यदि मंगल लग्न (पहले घर) से गिनते हुए 1st, 4th, 7th, 8th या 12th भाव में स्थित होता है, तो व्यक्ति मांगलिक कहलाता है। कभी-कभी चंद्र कुंडली से भी इसकी गणना की जाती है। मंगल एक अग्नि तत्व वाला ग्रह है, जो ऊर्जा, क्रोध, साहस और संघर्ष का प्रतीक है। जब यह इन भावों में होता है, तो इसकी ऊर्जा असंतुलित हो जाती है, जिससे व्यक्ति में आक्रामकता, आवेग और तीव्र भावनाएं बढ़ती हैं। उदाहरण के लिए, 7th भाव (विवाह का घर) में मंगल होने पर वैवाहिक संबंधों में तनाव उत्पन्न होता है। यह दोष जन्मकुंडली में जन्म के समय ग्रहों की स्थिति से निर्धारित होता है और यह आनुवंशिक या कर्मिक कारणों से भी जुड़ा माना जाता है। कुछ ज्योतिषी इसे पिछले जन्म के कर्मों का फल मानते हैं, जहां मंगल की नकारात्मक ऊर्जा वर्तमान जीवन में प्रभाव डालती है। कुल मिलाकर, यह दोष मंगल की उच्च ऊर्जा के कारण होता है, जो यदि नियंत्रित न हो, तो जीवन में बाधाएं पैदा करता है।
मांगलिक शांति या मांगलिक दोष की पूजा करवाना इसलिए अत्यंत जरूरी है, क्योंकि यह दोष को शांत करके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है। ज्योतिष के अनुसार, बिना शांति के यह दोष जीवन की खुशियों को छीन सकता है, लेकिन पूजा से मंगल की उग्रता को नियंत्रित किया जा सकता है।
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