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खूबसूरत झांसा

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दिनभर का थका-हारा अविनाश डिनर करके अपने बेडरूम में जाकर लेट ही रहा था कि पाँचवीं कक्षा में पढ़ने वाला उसका बेटा मनु आकर पूछा,


" पापा...आपने मुहावरे पढ़े हैं ?"


" हाँ-हाँ, क्यों नहीं।" थके हुए होने के बाद भी उसके स्वर में उत्साह था।


" तो पापा ' झाँसे में आना ' का क्या अर्थ है ?"


अपनी काॅपी खोलकर मनु ने पूछा।


" वेरी सिम्पल बेटा..., धोखा में आना।"


"अच्छा पापा..., आप कभी झाँसे में आये हैं ?"


मनु ने पूछा तो अविनाश दीवार पर टँगी अपने माता-पिता की तस्वीर देखकर धीरे-से बोला,


" हाँ....बहुत बार...।"


और वह सोचने लगा, बचपन में जब वह दूध पीने में आना-कानी करता था तो माँ उसे प्यार-से कहती,


" मेरा राजा बेटा..., एक घूँट में दूध खत्म कर लेगा तो वह जल्दी-से बड़ा हो जाएगा।"


इस झाँसे में आकर वह माँ के हाथों से न जाने कितने गिलास दूध पी गया था।


बाबा तो अक्सर ही उसे ' बस थोड़ी दूर और ' कहकर उससे दौड़ लगवा लेते थें।


तब उसे बाबा पर बहुत गुस्सा आता था लेकिन फिर जब स्कूल के दौड़-रेस में प्रथम आया तब बाबा पर उसे बहुत प्यार आया था।


एक दिन स्कूल से घर आया तो बाबा को सफ़ेद कपड़े में लिपटा आँगन के फ़र्श पर शांत लेटे देखा तो समझ नहीं पाया।


लोग उन्हें लेकर कहीं जाने लगे तो वह रोने लगा था, माँ भी चुप थी तब काकी ने उससे कहा कि अस्पताल ले जा रहें हैं,


घंटे भर में वापस ले आएँगे लेकिन बाबा फिर नहीं लौटे।कुछ दिनों बाद माँ भी उसे अनाथ कर गईं।


उसका पढ़ाई से जी उठ गया था, तब ताई ही उसे समझाती थीं,


" देख अवि.., पढ़ेगा नहीं तो तू अपनी माँ को भगवान के घर से वापस कैसे लायेगा।


" माँ को वापस लाने की चाह में वह ताई के दिये उस झाँसे में आ गया और उसने आठवीं पास कर ली। तब उसे समझ आया कि माँ-बाबा तो अब कभी नहीं.....।


फिर तो वह पढ़ाई करता ही गया और एक दिन डाॅक्टर की डिग्री लेकर माँ-बाबा की तस्वीर के आगे खड़ा हो गया था।


ताई कहती थीं कि जब तू मरीज़ों का इलाज़ करेगा तो तेरे माँ-बाबा की आत्मा तृप्त हो जाएँगी।ठीक ही तो वो कहती थीं।


बचपन में माता-पिता के द्वारा दिखाये वो सब्ज़बाग कितने खूबसूरत होते थें।कभी बड़ा घोड़ागाड़ी दिलाने तो कभी लाल किला घुमाने के झाँसे....।"


" पापा, आपने बताया नहीं कि आप किसके झाँसे में आ गये थें।"


मनु ने अविनाश का हाथ हिलाते हुए फिर से पूछा तो उसकी सोच को विराम लगा।हँसते हुए बोला,


" तुम्हारी दादी के...।" और वह मनु को उसकी दादी के बारे में बताने लगा



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