गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व: मानवता के दिव्य मार्गदर्शक
- lalkitabsirsa
- Nov 5
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आज गुरुपूर्णिमा का पावन दिवस है, और यह दिन गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव के रूप में भी मनाया जा रहा है। यह वह अवसर है जब सम्पूर्ण मानवता उस दिव्य आत्मा को स्मरण करती है, जिन्होंने अंधकारमय युग में सत्य, प्रेम और समानता का प्रकाश फैलाया। गुरु नानक देव जी केवल सिख पंथ के संस्थापक नहीं, बल्कि समस्त मानव जाति के लिए आध्यात्मिक गुरु, विचारक और सच्चे पथप्रदर्शक हैं।
गुरु नानक देव जी का जन्म 15वीं शताब्दी में हुआ, जब समाज में अंधविश्वास, जातिगत भेदभाव और धार्मिक दिखावे का बोलबाला था। ऐसे समय में उन्होंने अपने उपदेशों से यह सिखाया कि ईश्वर एक है — “एक ओंकार सतनाम” — और वह हर जीव में समान रूप से विद्यमान है। उन्होंने बताया कि सच्चा धर्म किसी पूजा-पाठ या कर्मकांड में नहीं, बल्कि सच्चे कर्म, ईमानदारी, और सेवा भाव में निहित है। उनका संदेश था —
“नाम जपो, किरत करो, वंड छको”
अर्थात ईश्वर का स्मरण करो, ईमानदारी से कर्म करो, और अपनी कमाई का हिस्सा दूसरों के साथ बाँटो।
गुरु नानक देव जी की वाणी आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी उस समय थी। जब मानवता स्वार्थ, हिंसा और भेदभाव की दिशा में भटक रही है, तब उनका संदेश हमें फिर से एकजुट होकर प्रेम, समानता और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा गुरु वही है जो हमें बाहरी आडंबरों से मुक्त कर आत्मज्ञान की ओर ले जाए।
गुरुपूर्णिमा के इस दिव्य अवसर पर, जब सम्पूर्ण जगत गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता है, हमें गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। उनके विचार केवल किसी धर्म की सीमाओं में बंधे नहीं हैं, बल्कि वे मानवता की सार्वभौमिक चेतना के प्रतीक हैं।
आज जब हम दीप प्रज्वलित करें, तो केवल बाहरी अंधकार ही नहीं, बल्कि अपने भीतर के अज्ञान, अहंकार और लोभ के अंधकार को भी मिटाने का संकल्प लें। हम उनके उपदेशों को जीवन का मार्ग बनाकर प्रेम, सत्य और करुणा से विश्व को आलोकित करें।





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